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Showing posts from May, 2021

कोरोना में जान गंवाने वालों मैं किस को मिलेगे ₹5 लाख और ₹1 लाख रुपए जरूर पढ़े और यदि किसी अपने वालों कि जान गई है तो उन तक इस खबर जरूर पहुंचाएं।

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कोरोना की पहली लहर में तो बहुत से लोगों की जान गई है थी लेकिन जिस कदर दूसरी लहर में लोगों की जान ली यह बहुत ही दर्दनाक है ऐसा माहौल छा गया देश में जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। इसी बीच मध्य प्रदेश सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की  है कि दूसरी लहर में जिन जिन व्यक्तियों की जाने गई उनके परिवार को एक विशेष सहायता राशि दी जाएगी चलिए जानते हैं वह क्या है शिवराज सिंह जी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी वर्मा व महामंत्री भगत सिंह के साथ प्रदेश के सभी विधायकों की मीटिंग 20 मई 2021 को ली l इसमें कितनी कितनी राशि किन किन व्यक्तियों को दी जाएगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने कहा कि जिन परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो कोरोना से हुई है उनको तो वापस नहीं लाया जा सकता है लेकिन उन सभी परिवारों को बस सहानुभूति देकर नहीं छोड़ा जा सकता इसके लिए उनके परिवारों को सहायता राशि दी जाएगी। कितनी कितनी और किसे राशि दी जाएगी चलिए देखते हैं सामान्य व्यक्ति जो किसी भी सरकारी नौकरी से जुड़ा हुआ नहीं है तो ऐसे व्यक्ति के परिवार में यदि किसी व्यक्ति की

जानिए किस को मिलेगे ₹5000 हर माह और क्या घोषणा कि शिवराज सिंह चौहान जी ने......

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने प्रदेश के उन बच्चों के लिए जिनके माता- पिता या संरक्षक कोरॉना महामारी में अपनी जान गवा दी हैं ऐसे बेसहारा बच्चों के लिए शिवराज सिंह चौहान जी ने कुछ घोषणाएं की चलिए देखते हैं क्या  क्या है वो घोषणाएं-  पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है ऐसे मैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने एक बहुत ही बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया उन्होंने घोषणा की है कि ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता या संरक्षक जिनकी मृत्यु कोरोन से हुई है उनको हर माह ₹5000 की पेंशन दी जाएगी ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है शिवराज सिंह जी ने यह घोषणा 13 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कि घोषणा के साथ ही इसे लागू कर दिया और हर जिले के कलेक्टर को आदेश दे दिए हैं कि तुरंत से तुरंत ऐसे बच्चों को चिन्हित कर लाभ उपलब्ध कराएं सरकार का कहना है कि इस महामारी में ऐसे परिवारों को छोड़ना या उनका साथ ना देना बहुत ही गलत होगा इसलिए सरकार ने यह फैसला किया है  क्या क्या मदद देगी मध्य प्रदेश सरकार- @-अनाथ बच्चों के लिए ₹5000 प्रतिमाह दिए जाएंगे

ब्लैक फंगल क्या है यदि आपके घर पे कोई डायबिटीज, कैंसर या HIV मरीज है तो इसको एक बार जरूर पढ़े। और अपनों का ध्यान रखे।

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कोरोना की दूसरी लहर पूरे भारत में फैल चुकी है और यह लहर पहली लहर से बहुत अधिक हानिकारक है दूसरी लहर में बहुत सारे लोगों ने अपनो को खोया हैं देश ऑक्सीजन की कमी और इस महामारी से जूझ ही रहा था कि एक नया संकट देश में आ गया है चाहिए जानते है क्या है ये -  म्यूकरमायकोसिस जिसे ब्लैक फंगल के नाम से भी जाना जाता है स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने इसको लेकर रिसर्च किया और पाया है कि यह ब्लैक फंगल जिसको डायबिटीज, कैंसर , एचआईवी की शिकायत है उनमें अधिक तेजी से फैल रहा है  यह एक तरह का फंगल इंफेक्शन है जो बहुत ही तेजी से शरीर में फैलता है यह इंसान के दिमाग, फेफड़ों और स्क्रीन पर हो सकता है इस बीमारी में बहुत से लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी अब तक गल चुके हैं ब्लैक फंगल के लक्षण @-बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ @-खून की उल्टी, नाक के पास दर्द @-स्किन मैं फुंसी या दाने पड़ना @-आंख में दर्द, धुंधला दिखाई देना और साथ में पेट दर्द ब्लैक फंगल का इलाज वैसे तो इस बीमारी का इलाज एंटीफंगल दवाइयों

कौन सी वैक्सीन लगवाए। कब और कितने दिन के अंतर से। लगवाने से पहले एक बार जरूर पढ़े। नहीं तो वैक्सीन लगवाने का फायदा नहीं मिलेगा आपको।

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इस महामारी के दौर में भी बहुत से लोग सोच रहे है की वैक्सीन लगवाए या नहीं । आप सभी से अनुरोध के कि यदि आप अपनी सुरक्षा चाहते हैं तो वैक्सीन जरूर लगवाएं चलिए देखते हैं कौन सी वैक्सीन कितनी असरदार है और वैक्सीन को कितने दिन के अंतर से लगवाना है और क्या क्या इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं  सबसे प्रमुख सूचना - आप जब वैक्सीन लगवाने जाते है तो ये जरूर देखे की कौन सी वैक्सीन लगी है।   Covishield (कोविशील्ड) - इस वैक्सीन को पुणे मैं स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया है और यह  विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाने वाली संस्था है   इस वैक्सीन को कब और कितने दिन के अंदर लगवाना है -यदि आप आज इस वैक्सीन को लगवाते हैं तो उसका दूसरा टीका 42-56 दिन के अंदर लगवाएं क्योंकि आप इस वैक्सीन को 28 दिन के बाद लगाते हैं तो यह सिर्फ 54% ही आपकी रक्षा कर पाएगी और यदि 42 से 56 दिन के अंदर लग जाते हैं तो यह वैक्सीन 84% तक आपकी रक्षा करेगी   Covaxin (कोवैक्सिन) - यह वैक्सीन पूर्ण रूप से भारत में बनने वाली वैक्सीन है जिसे भ

पढ़े और जाने। रुक सकती थी 2013 की केदारनाथ की त्रासदी। 2004 में ही पता चल गया था कि कुछ सालो बाद ऐसा होगा आखिर क्यों नहीं रोका जा सका?

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2013 में उत्तराखंड मैं आई त्रासदी मैं हजारों लोगों की जान गई क्या इसको बचाया जा सकता था पूरी कहानी  एक - एक कर के जानिए 2013 में आई उत्तराखंड (केदारनाथ) त्रासदी को कौन नहीं जानता है जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने अपनी जान गवाई और ना जाने कितने लोगों ने अपना घर परिवार सबको गवा दिया। आखिर ऐसा क्या हुआ की इतनी भयानक त्रासदी 2013 में आई इसके बारे में जानते है दैनिक भास्कर के एडिटर श्री लक्ष्मी पंत जी ने एक रिपोर्ट तैयार की आइए जानते हैं वह क्या है बात है 2004 की है केदारनाथ के कपाट कुछ ही दिन बाद खुलने वाले थे। उस समय पंत जी दैनिक जागरण के देहरादून संस्करण में विशेष संपादक हुआ करते थे और हिमालय और ग्लेशियर उनकी जिंदगी का एक हिस्सा थे इसी कारण से जब भी किसी पहाड़ से जुड़ी हलचल की जानकारी मिलती तो पंत जी उसकी जड़ तक पहुंचते और सच को सबके सामने लाते हैं ऐसी ही एक खबर का पता चला कि केदारनाथ के ठीक ऊपर स्थित चोराबारी ग्लेशियर पर ग्लेशियोलॉजिस्ट की एक टीम रिपोर्ट तैयार कर रही थी पंत जी देहरादून से सीधा केदारनाथ जा पहुंचे केदारनाथ से चोराबारी ग्लेशियर कुछ ह

जानिए कौनसा राज्य खेल को उद्योग का दर्जा देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है

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जानिए वह राज्य जो खेल को उद्योग का दर्जा  देने वाला देश का पहला राज्य बना । पूर्वोत्तर भारत में सात बहिन (सेविन सिस्टर) कहें  जाने वाले राज्य में से एक राज्य मिजोरम ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है जिससे उसने खेल जगत में अपनी एक अलग पहचान बना ली है और इसके साथ ही वह खेल को उद्योग का दर्जा देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है और इसके साथ ही यह भी कह सकते हैं कि मिजोरम में खासकर फुटबॉल में अपनी पहचान बनाई है । कब दिया गया खेल को उद्योग का दर्जा-  मिजोरम के मंत्रिमंडल 20 मई 2020 को खेल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए खेल को उद्योग का दर्जा दिया गया मिजोरम के खेल मंत्री रॉबर्ट रोमाविया ने कहा कि खेल और युवा मामलों के विभाग के प्रस्ताव से खेल को उद्योग का दर्जा देने को मंजूरी मिल गई है खेल मंत्री के अनुसार इस ऐतिहासिक फैसला से राज्य में खेल और उससे जुड़े में विभिन्न क्षेत्रों में बहुत बड़े स्तर पर विकास होने की शुरुआत होगी यह कह सकते हैं कि इससे प्रदेश का नाम देश और विदेशों में होगा ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य -

देश की नई शिक्षा नीति कैसी है। बच्चे कैसे पढेगे क्या आधार होगा। छात्र अपने लिए और माता पिता अपने बच्चों के लिए जरूर पढ़े यदि इसको नहीं पढ़ा को भविष्य में बहुत दिक्कत आएगी इसलिए इसको जरूर पढ़े।

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कमेटी के अध्यक्ष - के कस्तूरीरंगन ( पूर्व प्रमुख इसरो) इससे पहले देश में 2 शिक्षा नीति आयी है पहली - पहली शिक्षा नीति की घोषणा 1968 में इंदिरा गांधी सरकार  द्वारा की गई थी दूसरी - दूसरी शिक्षा नीति की घोषणा 1986 में राजीव गांधी सरकार द्वारा की गई थी तथा दूसरी शिक्षा नीति का 1992 में संशोधन भी हुआ था। तीसरी (नई) - नई शिक्षा नीति 2020 नरेंद्र मोदी सरकार में आए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्री मंडल द्वारा नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को मंजूरी मिली जिसने पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह ली या कहींये देश में 34 साल बाद नई शिक्षा नीति लागू की गई जिसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है इस प्रकार देश के पहले शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख रमेश अब रमेश पोखरियाल निशंक जी हैं चलिए देखते हैं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की क्या-क्या विशेषताएं हैं @- 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करना। @- नवीन शिक्षक केंद्रों की स्थापना कर

जानिए कब से मनाया जा रहा है विश्व प्रेस आजादी दिवस और कहा से इसकी शुरुआत हुई

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3 मई का दिन मीडिया (पत्रकारों) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज के दिन  विश्व प्रेस आजादी दिवस मनाया जाता है चलिए जानते हैं कि पहली बार कब और कहां मनाया गया और कब से विश्व स्तर पर बनाना शुरू किया गया था 1991 की अफ्रीकी देश में पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए आवाज उठाई और साथ ही उन्होंने आज ही के दिन यानी 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों को लेकर सरकार को कुछ कथन कहें जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहुक के नाम से जाना जाता है इसकी आवाज अफ्रीका से उठकर UNO महासभा तक पहुंच गई महासभा द्वारा 2 वर्ष बाद 3 मई 1993 को पहली बार विश्व प्रेस आजादी दिवस मनाने का फैसला किया गया तब से लेकर आज तक हर 3 मई को विश्व प्रेस आजादी दिवस मनाया जाता है पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना है वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में भारतीयों को प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है शुरुआत में तो इसकी जरूरत नहीं थी लेकिन धीरे धीरे पत्रकारों पर अत्याचार होने लगा बहुत से पत्रकारों का निधन भी हुए उनमें से पिछले कुछ सालों पहले सऊदी अरब के जमाल खगोशी इसका उद

जानिए गांधी जी को मारने कि साजिश किसने रची और कैसे इसको अंजाम दिया गया।

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2 मई वैसे तो कुछ खास नहीं है लेकिन  आज का दिन भारतीय इतिहास में  बहुत महत्वपूर्ण है क्यों कि आज के दिन ही महात्मा गांधी की हत्या करने बालो के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी चलिए जानते है केसे बापू की हत्या हुई और दोषियों की केसे सजा हुई    दिन था 30 जनवरी 1948 का गांधी जी हमेशा की तरह शाम को प्रार्थना करने के लिए मंदिर जाए करते थे और 30 जनवरी की शाम को भी यही हुए गांधी जी दर्शन कर के एक जगह खड़े हो कर बाते कर रहे थे  वहीं पे पीछे से एक व्यक्ति आ कर गांधी जी के पैर छुए और फिर और फिर सीधे बंदूक निकल कर 3 गोली मर दी गांधी जी की तत्काल वहीं पर मौत हो गई और गोली मारने वाला शख्स नाथूराम गॉडसे था  नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया मामले की जांच की गई जिसमें बंदूक से लेकर मंदिर तक आने में गोडसे की मदद की सभी 8 लोगो को गिरफ्तार किया गया। ये 8 लोग मैं थे नाथूराम गोडसे,नारायण आप्टे, गोपाल गोडसे, विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, दत्तात्रय परचुरे और वीर विनायक सावरकर।  इस मामले पाए पहली सुनवाई लाल किले में बने ट्रायल कोर्ट में 10 फरवरी 1949 को हुई जिसमें

जानिए आखिर 1 मई को ही क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस और भारत में इसकी शुरुआत कब से हुई

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वैसे तो आप सभी जानते होंगे की 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि आखिर 1 मई को ही मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है चलिए जानते हैं कि आखिर आज के दिन ऐसा क्या हुआ था कि 1 मई को ही मजदूर दिवस मनाया जाने लगा। ....... यह किस्सा आज से 135 साल पुराना है जब अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों के एक बहुत बड़े संगठन ने एक साथ मिलकर एक बहुत बड़ा प्रदर्शन किया उस प्रदर्शन में हजारों मजदूरों ने इस प्रदर्शन को बहुत बड़े आंदोलन के रूप में अमेरिकी सरकार के सामने अपनी कुछ मांगे रखी इनमें से दो प्रमुख मांगे थे  1- पहली मांगी थी कि मजदूरी का समय प्रत्येक दिन 8 घंटे तय किया जाए। 2- दूसरी मांग यह थी कि सप्ताह में 1 दिन की छुट्टी दी जाए।  सरकार तो बात मानने वाली नहीं थी तो मजदूरों में पुलिस पर आक्रमण कर दिया जवाब में पुलिस में भी मजदूरों के ऊपर हमला किया जिसमें बहुत से मजबूर मारे गए और करीब 500 से ज्यादा मजबूत घायल हुए इस स्थिति को देखते हुए अमेरिकी सरकार ने फैसला किया हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाएगा कुछ-कुछ देश तो 1 मई को राष्ट्रीय अव