जानिए कब से मनाया जा रहा है विश्व प्रेस आजादी दिवस और कहा से इसकी शुरुआत हुई

3 मई का दिन मीडिया (पत्रकारों) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज के दिन  विश्व प्रेस आजादी दिवस मनाया जाता है चलिए जानते हैं कि पहली बार कब और कहां मनाया गया और कब से विश्व स्तर पर बनाना शुरू किया गया था
1991 की अफ्रीकी देश में पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए आवाज उठाई और साथ ही उन्होंने आज ही के दिन यानी 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों को लेकर सरकार को कुछ कथन कहें जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहुक के नाम से जाना जाता है इसकी आवाज अफ्रीका से उठकर UNO महासभा तक पहुंच गई महासभा द्वारा 2 वर्ष बाद 3 मई 1993 को पहली बार विश्व प्रेस आजादी दिवस मनाने का फैसला किया गया तब से लेकर आज तक हर 3 मई को विश्व प्रेस आजादी दिवस मनाया जाता है
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना है वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में भारतीयों को प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है शुरुआत में तो इसकी जरूरत नहीं थी लेकिन धीरे धीरे पत्रकारों पर अत्याचार होने लगा बहुत से पत्रकारों का निधन भी हुए उनमें से पिछले कुछ सालों पहले सऊदी अरब के जमाल खगोशी इसका उदाहरण है विश्व भर में पहले के अनुसार 57% अधिक मामले आने लगे।
पुरस्कार -  1997 से यूनेस्को द्वारा गिलेरमो कानों वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम अवार्ड दिया जाना शुरू किया गया वैसे तो पत्रकारिता में दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवार्ड पुलित्जर अवार्ड होता है
प्रेस की स्वतंत्रता के लिए हर साल वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी किया जाता है इस साल भी 180 देशों में भारत का 142 स्थान रहा जो पिछले वर्ष भी यही था इस वर्ष क्रमशः पहला दूसरा तीसरा स्थान नॉर्वे फिनलैंड और डेनमार्क का रहा जबकि 180 वा स्थान अफ्रीकी देश इरिट्रिया का रहा।

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