अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस। जानिए क्यों और कब से मनाया जा रहा है
आज के दिन पूरे विश्व में बाघ के संरक्षण के लिए मनाया जाता है। आपको यह जान का कर बहुत खुशी होगी के दुनिया के 70% बाघ आज हमारे देश में ही रहते है। जिसमे से सबसे ज्यादा बाघ हमारे मध्य प्रदेश में पाए जाते है, हमारे प्रदेश ने पिछले कुछ सालों में बाघों को संख्या में बहुत वृद्धि की है।
वर्ष 2010 से लेके 2018 के बीच भारत में बाघों कि संख्या में लगभग 74% की वृद्धि हुए है। बाघों की घाटी संख्या के पीछे 2010 में रूस के पिटरबर्ग में हुई अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन में यह लक्ष्य रखा गया था कि वर्ष 2022 तक बाघों कि संख्या को दोगुना करना है इस सम्मेलन में सभी 13 बाघ रेंज देशों ने भाग लिया था जिसमे अपना देश भारत भी समिल था और भारत के आलावा नेपाल, म्यानमार ,भूटान ,चीन , कंबोडिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, रूस, थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम, सामिल हुए थे और हमरा देश भी शायद दुनिया का पहला देश होगा जो इस लक्ष्य को प्राप्त करेगा।
मध्य प्रदेश में इन 8 सालो में बाघों की संख्या दोगुनी हुए है और भी राज्य है जहां पे बाघों को संख्या में वृद्धि हुए है इन सबसे ज्यादा वृद्धि बिहार में हुई है। जो कि 262% है
वे 5 राज्य जहां पे बाघों की संख्या सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है।
1- बिहार
2- केरल
3- मध्य प्रदेश
4- उत्तराखंड
5- राजस्थान
मौत के आंकड़े- वर्ष 2012-2017 के बीच में भारत में 560 बाघों की जान गई है इसमें से प्रकतिक मौत 55% बाघों की हुए 38% बाघों का अवैध शिकार किया गया और बाकी अन्य तरीकों से मौते हुई है यदि इन सब पर सरकार थोड़ा और शक्त हो जाती हो शायद हमने जो 70% वृद्धि की है वो 75% से जायदा होती।
टाइगर प्रोजेक्ट-
विश्व में टाइगर प्रोजेक्ट का जन्मदाता गेनी मेनफर्ड को कहा जाता है और हमरे देश भारत में टाइगर प्रोजेक्ट का जन्मदाता कैलाश संखिल्या को कहा जाता है टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुवात 1973 में हुई थी टाइगर प्रोजेक्ट से जुड़ने वाला सबसे पहला राष्टीय उद्यान कान्हा केशली राष्टीय उद्यान था उस समय हमारे देश में केवल 9 टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र थे और आज वर्तमान में हमारे देश में 50 टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र है
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