रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साल 2036 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साल 2036 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं. ऐसा इसलिए कि रूस की जनता ने संविधान संशोधन के लिए कराए गए जनमत संग्रह में पुतिन की दावेदारी का समर्थन किया है. कोरोना संकट और विरोध के बीच सात दिनों तक चला यह जनमत संग्रह 01 जुलाई 2020 को समाप्त हुआ.
99.9 प्रतिशत मतपत्रों की गिनती के बाद 02 जुलाई 2020 को प्रकाशित आधिकारिक परिणाम घोषित किए गए. रूस की सत्ता में पछले दो दशकों से अधिक समय से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहने वाले पुतिन का यह कार्यकाल 2024 में खत्म होगा. केंद्रीय चुनाव आयोग ने कहा कि 77.9 प्रतिशत मत संविधान संशोधन के समर्थन में पड़े.
सात दिनों तक वोटिंग प्रक्रिया चली
जनमतसंग्रह के दौरान रूस के लोगों ने पुतिन को राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की इजाजत देने के अलावा कई अन्य संशोधनों के लिए भी वोटिंग की. इसमें गारंटी पेंशन और समलैंगिक विवाह पर प्रतिबंध जैसे मुद्दे शामिल हैं. कोरोना वायरस के कारण सात दिनों तक वोटिंग प्रक्रिया चली.
संसद और संवैधानिक न्यायालय से पहले ही यह संवैधानिक बदलाव को अनुमति मिल चुकी है. पहले यह मतदान 22 मई 2020 को होना था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे स्थगित करना पड़ा.
2036 तक पुतिन रह सकते है राष्ट्रपति
अब संविधान संशोधन कानून के जरिए पुतिन का वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें छह छह साल के दो अतिरिक्त कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद मिलना तय है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से वोटिंग स्लो भी हुई. बूथ पर लोगों की भीड़ नहीं लगाई गई. पूरी वोटिंग एक हफ्ते में हो पाई. संविधान में किए गए संशोधनों के लिए जनता को विश्वास में लेने के वास्ते पुतिन ने बड़े स्तर पर अभियान छेड़ा था.
व्लादिमीर पुतिन के बारे में
व्लादिमीर पुतिन का जन्म 07 अक्टूबर 1952 को हुआ था, पुतिन 7 मई 2012 से रूस के राष्ट्रपति हैं, इससे पहले वो साल 1999 से 2000 और साल 2008 से 2012 तक रूस के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. 67 वर्षीय पुतिन अगर 2036 तक रूस की सत्ता में काबिज रहते हैं तो उस समय उनकी उम्र 83 साल होगी. पुतिन साल 1999 से ही रूस की सत्ता में बने रहे हैं. स्टालिन के बाद पुतिन के नाम पर ही सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड दर्ज है.
पुतिन सबसे पहले साल 1999 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे. वे बोरिस येल्तसिन के इस्तीफा देने के बाद इस पद पर काबिज हुए थे. राजनीति में आने के पहले वे सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में काम करते थे. रूस का संविधान राष्ट्रपति को लगातार बस दो कार्यकाल की ही इजाजत देता है. इसलिए पुतिन अपने शुरुआती दो कार्यकालों के बाद प्रधानमंत्री बन गए थे.
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