सिंकिंग फण्ड
अक्सर अपने सुना होगा कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार या किसी कंपनी के ऊपर इतने करोड़ का कर्ज हो गया है. दरअसल केंद्र सरकार या राज्य सरकार के ऊपर ये कर्ज इसलिए होता है क्योंकि ये सभी लोगों का कल्याण बढ़ाने के लिए कार्य करतीं हैं ना कि लाभ कमाने के लिए. कुछ साल बाद सरकारों को ये कर्ज ब्याज सहित चुकाना पड़ता है.
सिंकिंग फण्ड क्या होता है? (What is Sinking Fund):-
सिंकिंग फण्ड एक तरह की निधि होती है जिसमें एक निर्धारित राशि जमा की जाती है जो भविष्य में कर्ज चुकाने के काम आ सके. इसे ऋण शोधन निधि भी कहा जाता है क्योंकि इसमें जमा की गयी राशि को भविष्य में कर्ज चुकाने के काम में लाया जाता है और कर्ज चुकाने में सरकार या कंपनी को ज्यादा कष्ट भी नही उठाना पड़ता है.
सिंकिंग फण्ड बनाने के लिए इसमें अपनी सहूलियत के हिसाब से एक निश्चित राशि हर माह जमा की जाती है जो कि कुछ सालों बाद इतनी अधिक हो जाती है कि कर्ज चुकाने के काम आ जाती है. बैंक में सेविंग्स अकाउंट भी सिंकिंग फण्ड खाते का पर्यायवाची है.
12वें वित्त आयोग (2005-10) ने Sinking Fund के निर्माण की सिफारिश की थी. यह फण्ड कंसोलिडेटेड फण्ड ऑफ़ स्टेट और पब्लिक अकाउंट से अलग होता है. इस वित्त आयोग ने यह भी कहा था कि इसमें जमा पैसा केवल राज्य सरकार का कर्ज चुकाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए किसी और उद्येश्य के लिए नहीं.
सिंकिंग फण्ड क्यों बनाया जाता है?(What is the Objectives of a Sinking Fund):-
अगर एक राज्य सरकार के सन्दर्भ में बात की जाये तो इसे इसलिए बनाया जाता है ताकि एक सरकार के हटने के बाद भविष्य में सत्ता में आने वाली सरकार के ऊपर वित्तीय बोझ कम पड़े.
चूंकि लोकतंत्र में सरकारें बदलती रहतीं हैं इसलिए यदि वर्तमान सरकार अपने ऊपर बहुत अधिक कर्ज लाद लेगी तो इसके भुगतान का दायित्व आगे आने वाली सरकार के ऊपर आ जायेगा. इसलिए हर राज्य सरकार अपने कुल कर्ज का 1% से लेकर 3% तक रुपया कंसोलिडेटेड सिंकिंग फण्ड में जमा करती है ताकि भविष्य में परिपक्वता अवधि पूरी करने वाले लोन/बांड भुगतान को चुकाया जा सके और सरकार डिफाल्टर घोषित ना हो.
भारत में कंसोलिडेटेड सिंकिंग फण्ड की स्थापना 1999-2000 में रिज़र्व बैंक द्वारा की गयी थी ताकि राज्यों को अपना कर्ज चुकाने में आसानी हो सके. वर्तमान में 23 राज्यों ने कंसोलिडेटेड सिंकिंग फण्ड की स्थापना की है. राज्यों के इस फण्ड को रिज़र्व बैंक द्वारा मैनेज किया जाता है.
सिंकिंग फण्ड का उदाहरण (Sinking Fund Example)
अगर मान लो उत्तर प्रदेश की सरकार ने दस वर्ष (2020 से 2030) की अवधि के लिए 200 करोड़ के बांड जारी किये. इसका मतलब है कि सरकार को अपने इन बांड धारकों को 2030 में 200 करोड़ रुपये चुकाने होंगे (सुविधा के लिए ब्याज को ध्यान में नहीं रखा है).
इसलिए सरकार इस जिम्मेदारी से निपटने के लिए हर साल सिंकिंग फण्ड में 10 करोड़ रुपये जमा करती है. इसका मतलब है कि 10 सालों में सरकार इस कर्ज को चुकाने के लिए 2030 तक इस फण्ड में 100 करोड़ रुपये पहले से जमा कर चुकी होगी अर्थात उसे 2030 में पूरे 200 करोड़ का इंतजाम ना करके केवल 100 करोड़ रुपये का इंतजाम ही करना है.
इस प्रकार स्पष्ट है कि इस कंसोलिडेटेड सिंकिंग फण्ड की मदड से राज्य सरकार ने अपने जिम्मेदारी बिना किसी परेशानी के पूरी कर दी है.
रिज़र्व बैंक सिंकिंग फण्ड में माध्यम से राज्य सरकारों को क्या सुविधा दी है?(Reserve Bank relaxation to states regarding Sinking Fund)
ध्यान रहे कि सभी राज्यों का सिंकिंग फण्ड नहीं है. केवल 23 राज्यों ने इस फण्ड में 31 मार्च 2020 कुल 1,30,431 करोड़ रुपये जमा किये हैं.
अब चूंकि कोरोना बीमारी के कारण राज्यों के पास धन नहीं है और उनको 2020 में भी अपने पुराने कर्जों को चुकाने के लिए कुछ धन की जरूरत है इसलिए रिज़र्व बैंक ने राज्यों को यह सुविधा दे दी है कि वे अपने कर्ज का 45% भुगतान (13,300 करोड़ रुपये) इस सिंकिंग फंड से पैसा निकालकर कर सकते हैं. यह छूट सुविधा केवल 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध रहेगी.
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इस रिलैक्सेशन का सबसे अधिक लाभ उन राज्यों को होगा जिन्होंने इस सिंकिंग फण्ड में सबसे अधिक पैसा जमा किया है. ऊपर टेबल में देखें कि महाराष्ट्र ने कुल 1.30 लाख करोड़ में से अकेले 39,948 करोड़ रुपये जमा किये हैं. इसका मतलब इस छूट का सबसे अधिक लाभ महाराष्ट्र को होगा.
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