वन नेशन, वन राशन
गृह मंत्रालय (MHA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 4 करोड़ प्रवासी कामगार हैं. वर्तमान लॉकडाउन स्थिति के दौरान, 75 लाख कर्मचारी (ट्रेनों द्वारा 35 लाख + बसों द्वारा 40 लाख) अब तक घर लौट आए हैं.
ये प्रवासी कर्मचारी हर साल यूपी, बिहार, और मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और पंजाब आदि की यात्रा बेहतर रोजगार की तलाश में करते हैं. इन प्रवासियों का नौकरी या आजीविका की तलाश में देश के विभिन्न हिस्सों में पलायन का एक पुराना इतिहास है.
इसलिए भारत सरकार ने इन प्रवासी श्रमिकों के लिए 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है. अब 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या है ''वन नेशन, वन राशन योजना
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने इससे पहले वर्ष 2019 में चार राज्यों में 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के पायलट प्रोजेक्ट को लागू किया था. 01 जनवरी 2020 से, पूरे भारत के 12 राज्यों में वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना लागू की गई थी. इसमें शामिल है; मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, केरल, त्रिपुरा, हरियाणा और आंध्र प्रदेश.
इस योजना के तहत देश में गरीबे रेखा के नीचे रहने वाले मजदूर देश के किसी भी राज्य में राशन कार्ड की मदद से राशन की दुकानों से सस्ता चावल और अनाज प्राप्त कर सकेंगे.
इसके पहले ऐसा होता था कि यदि कोई बिहार का मजदूर पंजाब ने काम कर रहा होता था तो उसको सस्ता अनाज नहीं मिल पाता था क्योंकि उसका राशन कार्ड तो बिहार सरकार का होता था लेकिन अब इस समस्या से छुटकारा मिल जायेगा.
इस योजना के तहत एक राशन कार्ड सभी प्रदेशों में मान्य होगा लेकिन इसके लिए सभी राज्यों के लिए एक स्टैण्डर्ड फॉर्मेट का राशन कार्ड बनाना होगा.
वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना ’के उद्देश्य :- इस योजना का मूल उद्देश्य देश भर के गरीब वर्गों को बहुत कम दरों पर पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना है. इस प्लान के अमल में आने से देश के पलायनवादी मजदूरों का खाद्यान्न खरीद का खर्चा कम हो जायेगा.
वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के बारे में पूरी जानकारी जानें;
1.नया राशन कार्ड प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं: इस पीडीएस योजना का लाभ उठाने के लिए नया राशन कार्ड प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है. इस योजना के तहत, देश भर के सभी पिछले राशन कार्ड धारकों को देश के किसी भी कोने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से सस्ता अनाज मिल सकेगा. हालाँकि जो भी नए कार्ड बनेंगे वे स्टैण्डर्ड फॉर्मेट में होंगे.
2. वन नेशन वन राशन कार्ड में भाषा: - वर्तमान में, भारतीय राज्यों के राशन कार्ड में अलग-अलग प्रारूप और भाषा में हैं लेकिन अब सभी राज्य एक मानक प्रारूप का पालन करेंगे. राज्य सरकारों से राशन कार्ड को द्वि-भाषी प्रारूप में जारी करने का अनुरोध किया गया है, जिसमें स्थानीय भाषा के अलावा, अन्य एक भाषा अंग्रेजी या हिंदी हो सकती है.
3. राशन कार्ड में मानक अंक:- नए प्रारूप के राशन कार्ड में 10 अंकों का मानक राशन कार्ड नंबर होगा. राशन कार्ड के पहले दो अंक राज्य कोड होंगे और अगले दो अंक वर्तमान में चल रहे राशन कार्ड के नंबर होंगे. जबकि राशन कार्ड के अगले दो नंबर प्रत्येक लाभार्थी की यूनिक सदस्य आईडी को बताएँगे.
4.कोई भी भारतीय आवेदन कर सकता है: - भारत का कोई भी कानूनी नागरिक इस राशन कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है.ध्यान रहे कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता के राशन कार्ड में जोड़ा जाएगा.
5. सबसे सस्ती दर पर अनाज: - इस योजना के तहत, प्रत्येक बीपीएल परिवार को हर महीने निश्चित मूल्य पर 35 किलोग्राम मिलता है. पश्चिमी जिलों में खाद्यान्न - (20 किलोग्राम चावल और 15 किलोग्राम गेहूं), पूर्वी जिलों में - (25 किलोग्राम चावल और 10 किलोग्राम गेहूं).
वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना' के लाभ :-
1.यह योजना उन गरीब श्रमिकों को पर्याप्त खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी जो अपने गृह जिले से पलायन करते हैं.
2. यह पीडीएस की दुकानों पर कालाबाजारी को कम करेगा. वर्तमान में, पीडीएस दुकान के मालिक वास्तविक लाभार्थियों की अनुपस्थिति में इन खाद्यान्नों को बाजार में बेचते हैं.
3. यह देश में भूख से होने वाली मृत्यु की घटनाओं को कम करेगा जो ग्लोबल हंगर इंडेक्स रैंकिंग में भारतीय रैंक को और बेहतर करेगा.
4. गावों से पलायन रुकने के कारण शहरों में झुग्गी की समस्या कम होगी और शहरी संसाधनों पर बोझ कम होगा.
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