खाद्य सुरक्षा सूचकांक
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने 07 जून 2020 को वर्ष 2019-20 का खाद्य सुरक्षा सूचकांक लॉन्च किया है. इस रैंकिंग में गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने शीर्ष स्थान हासिल किया है. यह खाद्य सुरक्षा पर दूसरा सूचकांक है.
खाद्य सुरक्षा सूचकांक एक तरह का मीटर है, जो बताता है कि शहर में खाद्य सुरक्षा (फूड सेफ्टी) के लिए सरकार या प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे कदम कितने प्रभावी हैं. इस क्षेत्र में चंडीगढ़ ने काफी अच्छा कार्य किया है. सिटी ब्यूटीफुल में खाद्य सुरक्षा को लेकर इस वर्ष कई तरह के कदम उठाए गए है.
छोटे राज्यों में गोवा पहले स्थान पर
प्राधिकरण ने कहा कि सूचकांक में बड़े राज्यों की सूची में गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र शीर्ष पर रहे हैं. छोटे राज्यों में गोवा पहले स्थान पर है. इसके बाद मणिपुर और मेघालय है. केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दिल्ली और अंडमान द्वीप समूह ने शीर्ष स्थान हासिल किया है.
खाद्य सुरक्षा पांच मानकों पर तैयार
इस सूचकांक में खाद्य सुरक्षा के पांच मानकों ‘मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण सुविधा, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण तथा उपभोक्ता सशक्तिकरण’ के पैमानों पर राज्यों का क्रम तय किया जाता है.
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य कंपनियों और व्यक्तियों के योगदान को पहचान प्रदान करने के लिये ‘ईट राइट अवार्ड’ की स्थापना की है, ताकि नागरिकों को सुरक्षित और स्वास्थ्यकर खाद्य विकल्प चुनने में सशक्त बनाया जा सके.
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने क्या कहा?
एफएसएसएआई ने इसे विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर ‘खाद्य सुरक्षा सभी का विषय है’ थीम के साथ जारी किया. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक वेबिनार में कहा कि खाद्य सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है.
खाद्य सुरक्षा सूचकांक के बारे में
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस हर साल 7 जून को मनाया जाता है. सबसे पहले इस दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 2018 में खाद्य और कृषि संगठन के सहयोग से मनाने का घोषणा किया गया था. इस दिन को मनाने के पीछे खाद्य सुरक्षा के प्रति लोगो को जागरूक करने का उद्देश्य था.
सरकार ने मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एंड सर्विसेज एक्ट (Model Contract Farming and Services Act), 2018 जारी किया है जिसमें पहली बार देश के अन्नदाता किसानों तथा कृषि आधारित उद्योगों को जोड़ा गया है. खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की तकरीबन 14.8 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषित है.
क्या है खाद्य संकट?
खाद्य संकट को धन अथवा अन्य संसाधनों के अभाव में पौष्टिक और पर्याप्त भोजन तक अनियमित पहुँच के रूप में परिभाषित किया जाता है. खाद्य संकट के दौरान लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ता है.
पृष्ठभूमि
कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण के दौरान भारत स्वास्थ्य चुनौतियों के अतिरिक्त जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनमें से खाद्य सुरक्षा की चुनौती सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक है. तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या, बढ़ते खाद्य मूल्य और जलवायु परिवर्तन का खतरा ऐसी चुनौतियाँ है जिनसे युद्ध स्तर पर निपटे जाने की आवश्यकता है.
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